सुकून !
नीति स्कूल से निकल कर साइकिल से घर की तरफ चली जा रही थी। ऑफिसर
क्वार्टर होने के कारन कुछ रास्ता सुनसान भी पड़ता था। वह उसी रास्ते पर
चली जा रही थी कि उसके बगल में एक गाड़ी रुकती है और उसको वह लोग गाड़ी में
खींच लेते हैं और फिर उसके चिल्लाने से पूर्व ही उसको बेहोश करने के लिए
कुछ सुँघा देते हैं।
नीति जब होश में आयी तो उसने अपने को एक अँधेरे कमरे में पाया , जिसमें एक पुराना सोफा पड़ा था और एक तरफ एक बैड कहे जाने वाला दीवान। उससे नहीं मालूम था कि कितना बजा था और वह कहाँ ला कर बंद की गयी थी? उसे भूख तेजी से लोग रही थी लेकिन खाने को कुछ भी न था। फिर उसने देखा कि कोई दरवाजा खोल रहा है , अँधेरे में रौशनी तेजी से आनी शुरू हुई तो उसकी आँखें चुंधियाने लगी और उसने आँखों को रौशनी से बचाने के लिए अपनी हथेली सामने फैला ली। उसे आने वाले की शक्ल नहीं दिख रही थी।
"कौन ?" आने वाले ने पूछा।
"मैं नीति। ": उसने कांपती आवाज में कहा।
आने वाला समझ गया कि ये कारस्तानी सेठ जी के बेटे की होगी। वह अपने आवारा दोस्तों के साथ मिल कर कुछ भी कर सकता है। वह अब धर्म संकट में फँस गया कि कैसे इसको बचाये ? एक लड़की की अस्मत बचना और एक क्षण उसे अपनी बेटी याद आ गयी , जिसे किसी ने इज्जत लूटने के बाद मार कर फ़ेंक दिया था। वह काँप गया। उसने तुरंत सोचा और नीति के पास गया।
:"बेटा मैं तुम्हें इस खिड़की तक पहुंचा दूंगा और तुम बाहर कूद कर दायीं और भागती जाना तो बाउंड्री के किनारे मेरी कोठरी बनी है उसी में छुप जाना। क्योंकि अगर सामने से भगाऊंगा तो मेरे नाम होगा और उन लड़कों की ऊपर महफ़िल जमी है। वह लोग एक आध घंटे में यहाँ आएंगे। तुम छिपी रहना और मैं खिड़की खुली छोड़ दूंगा जिससे वह समझेंगे की तुम खुद भाग गयी हो। "
"फिर काका आप को तो कुछ नहीं करेंगे ?"
"मेरी चिंता छोडो बेटी , ये गुजरी जिंदगी कितने पाप होते हुए देख चुकी है।अपनी बेटी तो न बचा सका। दूसरी बेटी की जिंदगी अब अपने हाथ से बचा लूँ तो अहोभाग्य । "
नीति जब होश में आयी तो उसने अपने को एक अँधेरे कमरे में पाया , जिसमें एक पुराना सोफा पड़ा था और एक तरफ एक बैड कहे जाने वाला दीवान। उससे नहीं मालूम था कि कितना बजा था और वह कहाँ ला कर बंद की गयी थी? उसे भूख तेजी से लोग रही थी लेकिन खाने को कुछ भी न था। फिर उसने देखा कि कोई दरवाजा खोल रहा है , अँधेरे में रौशनी तेजी से आनी शुरू हुई तो उसकी आँखें चुंधियाने लगी और उसने आँखों को रौशनी से बचाने के लिए अपनी हथेली सामने फैला ली। उसे आने वाले की शक्ल नहीं दिख रही थी।
"कौन ?" आने वाले ने पूछा।
"मैं नीति। ": उसने कांपती आवाज में कहा।
आने वाला समझ गया कि ये कारस्तानी सेठ जी के बेटे की होगी। वह अपने आवारा दोस्तों के साथ मिल कर कुछ भी कर सकता है। वह अब धर्म संकट में फँस गया कि कैसे इसको बचाये ? एक लड़की की अस्मत बचना और एक क्षण उसे अपनी बेटी याद आ गयी , जिसे किसी ने इज्जत लूटने के बाद मार कर फ़ेंक दिया था। वह काँप गया। उसने तुरंत सोचा और नीति के पास गया।
:"बेटा मैं तुम्हें इस खिड़की तक पहुंचा दूंगा और तुम बाहर कूद कर दायीं और भागती जाना तो बाउंड्री के किनारे मेरी कोठरी बनी है उसी में छुप जाना। क्योंकि अगर सामने से भगाऊंगा तो मेरे नाम होगा और उन लड़कों की ऊपर महफ़िल जमी है। वह लोग एक आध घंटे में यहाँ आएंगे। तुम छिपी रहना और मैं खिड़की खुली छोड़ दूंगा जिससे वह समझेंगे की तुम खुद भाग गयी हो। "
"फिर काका आप को तो कुछ नहीं करेंगे ?"
"मेरी चिंता छोडो बेटी , ये गुजरी जिंदगी कितने पाप होते हुए देख चुकी है।अपनी बेटी तो न बचा सका। दूसरी बेटी की जिंदगी अब अपने हाथ से बचा लूँ तो अहोभाग्य । "
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