कंचन सिंह चौहान (8) final




नाम: कंचन सिंह चौहान
शिक्षा: हिंदी एवं अंग्रेजी परास्नातक, संगीत प्रभाकर
पिता: स्व० श्री महादेव सिंह
माता: श्रीमती विलास कुमारी
रुचियाँ एवं अध्ययन एवं लेखन
कार्य-कलाप प्रारंभ में वागर्थ सहित विभिन्न पत्रिकाओं में गीत ग़ज़ल, नज़्म के प्रकाशन तथा अंतराग्नि एवं कुछ टीवी शो में काव्य पाठ के साथ साहित्य में प्रवेश.
वर्तमान में कहानी लेखन में सक्रिय. हंस, वागर्थ, कथादेश, कथाक्रम, परिकथा सहित विभिन्न पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित
वेब पता: http://kanchanc.blogspot.com
ई-पता chouhan.kanchan1@gmail.com
मोबाइल नं 94510 51840

 बहुत पहले एक कहानी लिखी थी....! ११ साल पहले...! कहानी क्या लघु उपन्यास था। मेरे दिल के बहुत करीब....! मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट था वो...! कभी कोई छपने को भेजने के लिये कहता भी तो मैं नही देती। मुझे उस पर फिल्म बनानी थी। या फिर जेलों में जा कर प्ले करवाना था। और कहानी के अंत में ये मोनोलॉग नायक की माँ से बुलवाना था। मैने तो बहुत हिफाज़त से रखा था उसे.....जाने कैसे मेरी शेल्फ में अब नही है वो...! मैने कहाँ कहाँ नही ढूँढ़ा...! मन्नत भी मानी...मगर मैं जिस के लिये मन्नत मान लूँ, वो तो पक्का नही पूरा होना है। ये मानी बात है। हँसी तो तब आई जब किसी ने मुझसे कहा कि अगर कोई चीज खो जाये तो दुपट्टे में गाँठ बाँध कर छोड़ दो..चीज मिल जायेगी। मैने अपने प्रिय सूट को छोड़ ही दिया तब तक के लिये जब तक वो मिल ना जाये...! थोड़े दिन बाद ढूँढ़ा तो वो दुपट्टा ही गायब था, जिस में गाँठ डाली थी....!
          आज जब लिखने बैठी तो कई बार लगा कि इस वाक्य को बदल दूँ तो ज्यादा असर पड़ेगा...मगर फिर हिम्मत नही हुई। ये तब की बात है जब मैं सिर्फ अपने लिये लिखती थी....!

टिप्पणियाँ

  1. आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है. ऐसे ही आप अपनी कलम को चलाते रहे. Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.

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